जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने सिर्फ सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाई है। इस सिलसिले में भारत ने पहले "ऑपरेशन सिंदूर" के जरिए पाकिस्तान को सैन्य स्तर पर मुंहतोड़ जवाब दिया। अब भारत ने एक और निर्णायक कदम उठाते हुए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में 7 प्रतिनिधिमंडलों को भेजा है ताकि पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों को वैश्विक मंचों पर उजागर किया जा सके।
इन प्रतिनिधिमंडलों में भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने दुनिया के सामने तथ्यों और प्रमाणों के साथ पाकिस्तान का असली चेहरा दिखाने का काम किया है। आइए जानते हैं कैसे भारत ने इस बार पाकिस्तान को राजनीतिक-राजनयिक स्तर पर घेरने का काम किया है।
🇬🇾 गुयाना में मिलिंद देवड़ा ने पाकिस्तान के खिलाफ दिखाए सबूत
शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद और शशि थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य मिलिंद देवड़ा ने गुयाना में आयोजित बैठक में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के पुख्ता सबूत पेश किए। उन्होंने कहा:
"यह आतंकवाद केवल गैर-राज्य तत्वों द्वारा नहीं, बल्कि पूरी तरह से राज्य प्रायोजित है। पाकिस्तान की सेना और सरकार आतंकियों को शह दे रही है।"
देवड़ा ने एक फोटो भी साझा की जिसमें पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करते दिख रहे हैं। यह इस बात का साफ संकेत है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना आतंकियों को नायक की तरह सम्मान दे रही है।
🇨🇩 कांगों में भाजपा सांसद अतुल गर्ग का संदेश: अभी लड़ाई खत्म नहीं
कांगों में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संवाद करते हुए भाजपा सांसद अतुल गर्ग ने साफ कहा:
"लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया है, लेकिन अब भी सिंधु जल संधि निलंबन की स्थिति में है।"
उन्होंने कहा कि हर भारतीय की जान अनमोल है और अब भारत आतंकवाद के हर हमले का जवाब उसी भाषा में देगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में पाकिस्तान को और भी कड़े परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
कतर में सुप्रिया सुले का प्रतिनिधिमंडल
NCP (एससीपी) सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कतर का दौरा किया। यहां भारतीय प्रवासी समुदाय की सदस्य रजनी मूर्ति ने कहा:
"पहलगाम हमला केवल भारत पर हमला नहीं था, बल्कि यह पूरी मानवता पर हमला था।"
उन्होंने भारत द्वारा की गई कार्रवाई को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि दुनिया को यह जानना जरूरी है कि भारत ने क्यों और कैसे इतनी मजबूती से जवाब दिया। सुप्रिया सुले ने यह भी कहा कि प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दोहा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का संदेश
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दोहा में भारतीय समुदाय के बीच बातचीत करते हुए भारत की सांस्कृतिक विविधता और शांति प्रियता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा:
"भारत हमेशा से अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहता है, लेकिन पाकिस्तान ने बार-बार विश्वासघात किया है।"
उन्होंने पाकिस्तान को मानवता के लिए खतरा बताते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और यह एक ऐसा कैंसर है जिसे जड़ से समाप्त करना होगा। भारत इस लड़ाई में पूरी तरह एकजुट, स्पष्ट और अडिग है।
🇰🇼 कुवैत में ओवैसी का सीधा प्रहार: पाकिस्तान एक जोकर
कुवैत में आयोजित एक कार्यक्रम में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान पर जबरदस्त हमला बोला। उन्होंने कहा:
"भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुस्लिम रहते हैं, और यहां के मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमानों से कहीं ज्यादा ईमानदार और शांतिप्रिय हैं।"
ओवैसी ने पाकिस्तान की सेना और सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्हें जोकर तक कह दिया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने अपने देश के नाम पर सिर्फ आतंक और फर्जी राष्ट्रवाद फैलाया है।
भारत का कूटनीतिक प्रयास: एक निर्णायक बदलाव
भारत का यह कदम यह दिखाता है कि अब केवल सीमा पर लड़ाई नहीं लड़ी जाएगी, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान की पोल खोली जाएगी। यह रणनीति बताती है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ रक्षात्मक नहीं, आक्रामक नीति अपनाए हुए है।
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सात अलग-अलग देशों में भारत ने अपने नेताओं को भेजकर ये दिखा दिया कि वह वैश्विक स्तर पर समर्थन जुटाने और पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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भारत अब सिर्फ आतंकवाद का शिकार नहीं बल्कि आतंक के खिलाफ वैश्विक नेता बनना चाहता है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपने कूटनीतिक हथियार भी तेज कर दिए हैं। 7 प्रतिनिधिमंडलों के जरिए पाकिस्तान की पोल खोलना भारत की रणनीतिक सोच और साफ राजनीतिक मंशा को दर्शाता है। अब यह साफ हो चुका है कि भारत केवल एक सीमित युद्ध नहीं, बल्कि दीर्घकालिक वैश्विक युद्ध लड़ रहा है—आतंकवाद के खिलाफ, और मानवता के पक्ष में।